October 27, 2005

Mera Kona


कर्म भूमि है
ये मेरी
जहा मै करता हू
ऱोज जद्दोजहत
काम से.
अपने आप से..
वक्त से...
और
जिन्दगी से......

4 comments:

eskay said...

चलो, कहीं तो शुरूआत हुई

Dharni said...

अच्छी लगी आपकी साइट और कविताएँ । आगे भी लिखते रहिये,खुशी हुई कि हिन्दी में लिखते हैं।

रवि रतलामी said...

हिन्दी चिट्ठा जगत् में आपका स्वागत है.

कविताएँ अच्छी हैं.

कुछ गद्य और संस्मरण इत्यादि भी लिखें - अनुरोध है.

अनुनाद सिंह said...

स्वागत , स्वागत , स्वागत !!!

आपकी संक्षिप्त कविताएँ भावपूर्ण लगीं | अनुरोध है कि सामान्य रूचि के विषयों पर गद्य में भी लिखेंगे , विशेशकर अपने कार्य-क्षेत्र से संबन्धित विषयों पर | हिन्दी-जगत को इन विषयों पर लेखों की भी जरूरत है |