बचपन
व़क्त लगा है बडा होने में,
व़क्त लगा बढने में
और ये व़क्त फिर खडा है
मेरे सामने।
मेरा बचपन फिर आया है,
पर व़क्त नही है
इसे जीने का।
इसके लिये अब
जीना (सीडी) बनना है,
इस व़क्त में वो जीना है,
जो मै ना जी सका
अपने व़क्त मै।
व़क्त लगा बढने में
और ये व़क्त फिर खडा है
मेरे सामने।
मेरा बचपन फिर आया है,
पर व़क्त नही है
इसे जीने का।
इसके लिये अब
जीना (सीडी) बनना है,
इस व़क्त में वो जीना है,
जो मै ना जी सका
अपने व़क्त मै।
What a wonderful explanation of chrolonogy of time. Its egregiously mind blowing. Now Yatish when you are about to pen down a new post. Desperately wating.
Posted by Anonymous | 8:12 PM
What a wonderful explanation of chronology of time. Its egregiously mind blowing. Now Yatish when you are about to pen down a new post. Desperately waiting.
Posted by Anonymous | 8:13 PM
बहुत अच्छे,
तुम्हारे शब्द कर देते है बहुतों को स्तब्ध,
सच्ची है ये आवाज़ शब्दों की,
कि जिसमे है सब निस्तब्ध .
Posted by Anonymous | 8:14 PM
बहुत अच्छे,
तुम्हारे शब्द कर देते है बहुतों को स्तब्ध,
सच्ची है ये आवाज़ शब्दों की,
कि जिसमे है सब निस्तब्ध .
Posted by Anonymous | 8:14 PM
यतीश जी, हिन्दी ब्लॉग मण्डल में आपका हार्दिक स्वागत है। उम्मीद है आपकी लेखनी इसी तरह निरन्तर चलती रहेगी।
Posted by Pratik Pandey | 8:54 PM