May 25, 2007

आयना

आज बहुत दिनों बाद देखा आयना,
अजीब सा लगा,
वो जो रोज कहता था,
कुछ भी असंभव नही है,
वो कहने लगा ये असंभव है ।

मुझे खुद को पहचानना
मुश्किल हो गया है अब,

आयाने का क्या कसूर

2 comments:

Divine India said...

सच की तस्वीर और ज्यादा स्पष्ट होती है जिसे हजम करना आसान नहीं होता…।

परमजीत सिहँ बाली said...

अपने को जानने की जिज्ञासा मनुष्य को सत्य की ओर ले जाती है।लगता है आप की यात्रा शुरू हो गई है।