साइंस
विज्ञान ने साधन इतने दिए है
कि मीलों दूरी का फासला भी
एक सेकेंड का हो गया है ।
किसी से बात करना तो क्या हम
अब देख भी सकते है ।
पर ये क्या हुआ हमारे ज्ञान को,
हम नजदीक होकर भी दूर होते जा रहे है ।
ये कैसे फ़ोन है ; ये कैसे ईमेल
जो नही पहुंच पाते दिल तक,
उन तक जो सदा करीब रहे
दूर रहकर भी ,
जो दूर है करीब रहकर भी ।
कि मीलों दूरी का फासला भी
एक सेकेंड का हो गया है ।
किसी से बात करना तो क्या हम
अब देख भी सकते है ।
पर ये क्या हुआ हमारे ज्ञान को,
हम नजदीक होकर भी दूर होते जा रहे है ।
ये कैसे फ़ोन है ; ये कैसे ईमेल
जो नही पहुंच पाते दिल तक,
उन तक जो सदा करीब रहे
दूर रहकर भी ,
जो दूर है करीब रहकर भी ।
हिन्दी चिट्ठा जगत में स्वागत है। अब तो दूरी कम हो ही जायगी।
Posted by उन्मुक्त | 1:51 PM
आपकी सृजनता को प्रणाम । सुंदरतम रचना ।
Posted by Prabhakar Pandey | 9:08 AM